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रोजगारपरक हिंदी

 

राधानगरी महाविद्यालय, राधानगरी

                               -प्रा. .एम.कांबळे

बी.. भाग. 2, सेमिस्टर-IV

प्रश्नपत्र-V (पत्रलेखन)

रोजगारपरक हिंदी

·        पाठ्यांश

इकाई-4 पत्रलेखन :

·       आवेदन पत्र

·        नौकरी के लिए आवेदन पत्र :

यह एक विस्तृत पत्र होता है। इसके अंतर्गत प्रेषक अपना नाम, पता, जन्मतिथि, वैवाहिक स्वरूप, शैक्षिक योग्यता, कार्यानुभव, विशेष अर्हता आदि की निम्नांकित रूपरेखा के अनुसार जानकारी देकर सेवा का अवसर प्रदान करने की प्रार्थना करता/करती है। आवेदन पत्र में सौंपा जानेवाला कार्य अथवा जिम्मेदारी को निष्ठा, लगन से पूर्ण करने का आश्वासन होना चाहिए। ऐसे पत्र के साथ उचित दस्तावेज भेजना भी जरूरी होता है। आवेदन पत्र की भाषा अत्यंत स्पष्ट होनी चाहिए। आवेदक को ऐसे पत्र में झूठी जानकारी देने से बचना चाहिए। आवेदन पत्र का आधार तथ्य होना चाहिए।

·        उदा.

दैनिकनवभारत टाइम्सके दि. 4 अप्रैल, 2002 के विज्ञापन के अनुसार सुजय/सुजाता भोसले, 1151, वॉर्ड, इस्लामपुर, जि. सांगली, प्रबंधक, बैंक ऑफ इंडिया, विभागीय कार्यालय, नरिमन पाँइंट, मुंबई-400 032 के नामलिपिकपद के लिए आवेदन पत्र लिखता/लिखती है।

 

उपर्युक्त पत्र का नमूना तैयार कीजिए।

 

 

 

 

 

                                                

                                                  सुजय भोसले,

                                                  1151, वॉर्ड,

                                                  इस्लामपुर, जि. सांगली।

                                                  दि. 4 अप्रैल, 2002

प्रतिष्ठा में,

     मा. विभागीय प्रबंधक,

     बैंक ऑफ इंडिया,

     विभागीय कार्यालय,

     नरिमन पाँइंट,

     मुंबई - 400 032

        विषय:लिपिकपद के संदर्भ में।

        संदर्भ: दैनिकनवभारत टाइम्सके दि. 4 अप्रैल, 2002 के अंक में प्रकाशित

              आपका विज्ञापन।

मान्यवर महोदय,

     उपर्युक्त विज्ञापन के संदर्भ में नम्र निवेदन है कि आपकी बैंक में रिक्त लिपिक पद पर कार्य करने के लिए मैं उत्सुक हूँ। मेरी योग्यता एवं विस्तृत जानकारी निम्नांकित है-

   1. पूरा नाम - सुजय नारायण भोसले।

   2. जन्मतिथि - 5 अगस्त, 1980

   3. उम्र - 22 वर्ष।

   4. वैवाहिक स्थिति - अविवाहित।

   5. शैक्षिक योग्यता - बी. काॅम. (द्वितीय श्रेणी)

   6. कार्यानुभव - स्थानीय बैंक में लिपिक पद पर 2 वर्ष कार्य।

   7. विशेष योग्यता - संगणक संचालन में कुशल।

   8. संदर्भ सूत्र - श्री. विश्वास पाटील, 21 सुर्वेनगर, सांगली।

      मेरी उपरोक्त जानकारी एवं योग्यताओं को देखते हुए यदि आप मुझे आपकी बैंक में सेवा का अवसर प्रदान करेंगे, तो मैं अपनी जिम्मेदारी पूरी दक्षता से निभाऊँगा। मेरी कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण मुझे नौकरी की सख्त जरूरत है। आशा है, आप मेरी प्रार्थना का प्राधान्यता से विचार करेंगे।

                                                       आपका विनम्र,

                                                       (सुजय भोसले)

 

·         संलग्न : 1. उपाधि पत्र,  2. कार्यानुभव  3. संगणक परीक्षा प्रमाणपत्र।           

 

2. ज्ञापन :

कार्यालय में प्राप्त आवेदन पत्र, पत्र की स्वीकृति, आवेदन पत्र के अनुसार नियुक्ति, अधीनस्थ कार्यालयों को विभिन्न सूचनाएँ देने जैसे अनेक कारणों से जो पत्र लिखा जाता है, उसेज्ञापनकहते हैं। कार्यायलीन पत्राचार में इसका सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है। इसका आकार छोटा होता है तथा भाषा आदेशात्मक या सूचनात्मक होती है। इस पत्र में प्रेषक, प्रेषिती, संबोधन, अभिवादन, स्वनिर्देश नहीं होता है। यह पत्र तटस्थ, संयमित भाषा में लिखा जाता है। इसकी वाक्य रचना में अन्यपुरुष एकवचन का प्रयोग किया जाता है।

·         उदा.

ज्ञापन (नियुक्ति पत्र के रुप में)

श्री. रमाकांत झा, उपसचिव, गृह मंत्रालय, महाराष्ट्र सरकार, मुंबई श्रीमती विजया शिरोटे, 2 , जानकी अपार्टमेंट, सदाशिव पेठ, पुणे-411030 के नाम उनके आवेदन पत्र के उत्तर में नियुक्ति पत्र भेजते हैं।

उपरोक्त ज्ञापन का प्रारूप तैयार कीजिए।

पत्रसंख्या 1920/../गृ. /2000-1

महाराष्ट्र सरकार

गृह मंत्रालय

                                                    मुंबई, दि. 4 जून, 2004

ज्ञापन

      विषय : प्रथम श्रेणी लिपिक पद पर नियुक्ति।

     श्रीमती विजया शिरोटे को उनके 30 मार्च, 2000 के आवेदन पत्र के उत्तर में सूचित किया जाता है कि उनकी नियुक्ति प्रथम श्रेणी लिपिक पद पर पुणे ग्रामीण पुलिस मुख्यालय, पुणे के धनकवडी स्थित विभागीय कार्यालय में निम्नांकित शर्तों पर की गई है-

1.   प्रस्तुत नियुक्ति अस्थायी है, पर संतोषप्रद कार्य के बाद स्थायी करने पर विचार किया जा सकता है।

2.   पद की वेतन श्रेणी 3000-150-4000-200-5000 होगी।

3.   आवेदन को 15 जून, 2004 तक कार्यभार ग्रहण करना होगा।

                                                        (रमाकांत झा)

                                                         उप सचिव

                                                       महाराष्ट्र सरकार

सेवा में,

    श्रीमती विजया शिरोटे,

    2-, जानकी आपर्टमेंटस्,

    सदाशिव पेठ,

    पुणे-411030

3. छुट्टी के लिए प्रार्थना पत्र:

पढ़ते या नौकरी करते समय हमें अनेक कारणों से छुट्टी या अवकाश की आवश्यकता होती है। ऐसे अवकाश या छुट्टी की माँग करते समय जो पत्र लिखा जाता है, वहछुट्टी के लिए प्रार्थना पत्रकहा जाता है। इसके निम्नांकित प्रकार होते हैं.

1.  आकस्मिक अवकाश के लिए प्रार्थना पत्र।

2.  दीर्घकालीन अवकाश के लिए प्रार्थना पत्र।

3.  बीमारी की छुट्टी के लिए प्रार्थना पत्र।

4.  अर्जित अवकाश के लिए प्रार्थना पत्र।

5.  वैकल्पिक छुट्टी के लिए प्रार्थना पत्र।

6.  कार्यावकाश के लिए प्रार्थना पत्र।

छुट्टी के स्वरूप के अनुसार प्रार्थना पत्र में थोड़ा-बहुत अंतर होता है। दीर्घ अवकाश के प्रार्थना पत्र में संपर्क स्थापित करने हेतु पता दिया जाता है। प्रार्थना पत्र संक्षेप में होना चाहिए। उसकी भाषा विनम्र होनी चाहिए।

·        आकस्मिक अवकाश के लिए प्रार्थना पत्र

·         उदा.

रजाक/रजिया मुल्ला, अकबर मोहल्ला, मालेगाँव; प्राचार्य, लियाकत कला महाविद्यालय, नासिक के नाम गाँव जाने के लिए दो दिन के छुट्अी की माँग करता/करती है।

उपरोक्त पत्र का नमूना तैयार कीजिए।

                                                    

                                                       रजिया मुल्ला,

                                                       अकबर मोहल्ला,

                                                       मालेगाँव,

                                                       दि. 10 अगस्त, 2001

सेवा में,

    मा. प्राचार्य,

    लियाकत कला महाविद्यालय,

    नासिक।

        विषय : दो दिन के अवकाश के बारे में।

 

महादेय,

     नम्र निवेदन है कि गाँव के मेले में शरीक होने के लिए मुझे दि. 11 तथा 12 अगस्त, 2001 के दो दिनों के अवकाश की जरूरी है। अतः अनुरोध है कि उपरोक्त दो दिनों का आकस्मिक अवकाश मंजूर करें और मेरी अनुपस्थिति क्षमापित कर कृतार्थ करें।

                                                        आपकी आज्ञाकारी,

                                                          रजिया मुल्ला

                                                         प्रथम वर्ष (कला)

·         संलग्न: अभिभावक का पत्र।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

4.   कार्यालय आदेश (Office order)

कार्यालय आदेश शासकीय पत्रों का वह रूप है, जो किसी भी कार्यालय या मंत्रालय के कर्मचारियों को उनसे संबद्ध सूचनाएँ देने के लिए लिखे जाते हैं। सरकारी कामकाम के एक प्रमुख संपर्क माध्यम के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है। कार्यालय आदेश का उपयोग किसी मंत्रालय, संबद्ध विभाग, प्रभाग, अनुभाग एंव कार्यालय के कर्मचारियों के लिए अधिकारी व्यक्ति द्वारा संबंधित कार्य हेतु किया जाता है। उनके द्वारा दिए गए आदेशों का अनुपालन करना संबंधित कर्मचारियों का परम कर्तव्य होता है। ऐसे पत्रों का प्रयोग अवकाश स्वीकृत/अस्वीकृत की सूचना देना, नियुक्ति और पदोन्नति की सूचना देना, स्थायीकरण या स्थानांतरण आदि की सूचना देना, किसी विशेष कार्य-विधि के नविनीकरण, परिवर्तन आदि की सूचना देना, किसी प्रशासकीय आदेश के पालन के संबंध में सूचना देना, प्रशासन से संबंधित निर्देश की सूचना देना आदि के लिए किया जाता है।

·         उदा.

मुंबई के शिक्षा निदेशक कार्यालय के शिक्षा निदेशक श्री. कुमार गौरव कार्यालय स्थानांतरण अवधि में कर्मचारियों को किसी भी प्रकार का अवकाश लेने का आदेश देते हुए कार्यालय आदेश लिख रहे हैं। कार्यालय आदेश का प्रारूप तैयार कीजिए।

 (कार्यालय आदेश)

 

संख्या: 8 //6/02

शिक्षा निदेशक कार्यालय

                                                         मुंबई।

                                                         दि.: 9 जून, 2002

कार्यालय आदेश

      शिक्षा निदेशक कार्यालय अपने नवीन भवन में स्थानांतरित किया जा रहा है। अतः 15 जून, 2002 से 30 जून, 2002 तक किसी भी वर्ग के कर्मचारी को कोई अवकाश प्रदान नहीं किया जाएगा।

                                                      (कुमार गौरव)

                                                      शिक्षा निदेशक

प्रतिलिपि सूचनार्थ प्रेषित :

1.  अनुभाग अधिकारी, शिक्षा निदेशक कार्यालय।

 

5. परिपत्र

परिपत्रकोगश्ती चिट्ठीया सक्र्यूलरभी कहते हैं। जो पत्र एक केंद्रबिंदू से निकलकर परिघि में घूमता है और अनेकों तक पहुँचता है, उसेपरिपत्रकहते हैं। एक ही विषय के पत्र की अनेक प्रतियाँ निकालकर अनेक व्यक्तियों को भेजी जाती हैं, उन्हेंपरिपत्रकहते हैं। परिपत्र या तो किसी जानकारी विशेष की माँग करते हैं या सामान्य जानकारी एवं आदेशों आदि की सूचना देते हैं। कोई भी सरकारी पत्र, कार्यालय ज्ञापन, कार्यालय आदेश, पृष्ठांकन, अर्धसरकारी पत्र आदि सब एक साथ अनेकों को भेजे जाते हैं तब वेपरिपत्रबनते हैं।

·         उदा.

श्री. मनोहर पराशर, उपसचिव, खाद्य मंत्रालय, भारत सरकार, सब राज्य सरकारों के नाम अनाज का व्यापार राज्यों के हाथों सौंपने की सूचना देते हुए परिपत्र लिख रहे हैं। परिपत्र का प्रारूप तैयार कीजिए।

(परिपत्र)

परिपत्र

भारत सरकार

खाद्य मंत्रालय

पत्र संख्या : 20/8/02 (खा.)                              नई दिल्ली।

                                                    दि.: 15 जनवरी, 2002

प्रेषक,

   श्री. मनोहर पराशर,

   उपसचिव,

   भारत सरकार।

सेवा में,

  सब राज्य सरकारें।

  विषय : राज्यों द्वारा अनाज का व्यापार।

महोदय,

मुझे यह सूचित करने का निदेश हुआ है कि अनाज के व्यापार में बेहद मुनाफाखोरी, कालाबाजारी एवं धाँधली फैली हुई है, जिसके कारण कभी यहाँ तो कभी वहाँ अनाज की बेहद तंगी पैदा हो जाती है और भाव सीमाओं को तोड़कर बढ़ जाते हैं। उस पर विचार करने के बाद भारत सरकार इस नतीजें पर पहुँची है कि अनाज के व्यापार को अधिकाधिक पैमाने पर राज्यों के हाथों में दे दिया जाए।

 

 

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