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अनुवाद और विज्ञापन स्वरूप, प्रकार, महत्व, उपयोगिता

 

राधानगरी महाविद्यालय, राधानगरी

बी. . I आवश्यक हिंदी

सेमिस्टर III   द्वितीय  सत्र

    प्रा. . एम. कांबले

    हिंदी विभाग

इकाई  - III

अनुवाद और विज्ञापन स्वरूप, प्रकार, महत्व, उपयोगिता 

उद्देश   .  अनुवाद के स्वरूप  . प्रकारो  . महत्व  . उपयोगिता  से  परिचित    होगा  . अनुवाद कार्य के प्रारूप का ज्ञान होगा  . विज्ञापन कार्य के प्रारूप का ज्ञान होगा

प्रस्तावना :— 

आधुनिक युग में शिक्षा केवल ज्ञानार्जन का माध्यम हरकर उपजीविका प्राप्त करने  का साधन बन गयी है | अनुवाद आज जागतिक स्तर पर महत्वपूर्ण बन गयी है , हिंदी पाठ्यक्रम में इस विषय की आवश्यकता, महत्व को ध्यान में रखकर अध्ययन के  लिए रखा है

विषय विवेचन :—

 अंग्रेजी में ट्रान्सलेशन को हिंदी में अनुवाद कहा गया है प्रस्तुत शब्द की व्युत्पत्ति लैटीन शब्द ट्रान्स '  तथा लेशन के योग से हुई है ट्रान्स का अर्थ पार  और लेखन का अर्थ ले जाने की क्रिया अर्थात ट्रान्सलेशन शब्द का अर्थ पार ले जाने की क्रिया परिभाषा डॉ. भोलानाथ तिवारी " एक भाषा में व्यक्त विचारों को यथासंभव समान और सहज अभिव्यक्ति द्वारा दूसरी भाषा में व्यक्त करने का प्रयास ही अनुवाद है। 

अनुवाद के प्रकार : -  अध्ययन के लिए  ) कथानुवाद  ) काव्यनुवाद  ) नाट्यानुवाद

कथानुवाद : - स्रोत् (मुल) भाषा की कथा लक्ष भाषा में कथात्मक अनुवाद कथानुवाद कहा जाता है।  कहानी, लघुकथा  उपन्यास आदि का अनुवाद किया जाता है| अनुवाद में मूल भाषा की गदिमा को ध्यान में लेकर अनुवाद आवश्यक होता है।

) काव्यानुवाद : - काव्य रचनाओं का अनुवाद काव्यानुवाद कहा जाता है।  काव्यानुवाद पद्य का मुक्त छंद के साथ गद्य में भी किया जाता     है।  काव्यानुवाद में बिंब, काव्य सौंदर्य एवं शैली विशेषण की पुनर्रचना करनी होती है। 

 ) नाट्यानुवाद  :- नाटक का अनुवाद रगमंचीय भूमि का   ध्यान में लेकर किया जाता है।  प्रेमचंद के उपन्यासौं  का नाट्यानुवाद किया गया, मन्नू भंडारी ने अपने महाभोज उपन्यास का नाट्यनुवाद किया था। इसके लिए रंगमंच की पूरी जानकारी एव नाट्य तत्वों का अनुवाद करना आता होता हैं।

) प्रयोजन के आधात्पर अनुवाद के प्रकार, मानवी जीवन में अनुवाद विभिन्न उद्देशों को अनुवाद  ) वैज्ञानिक तकनीकी अनुवाद  ) संचारमाध्यम के अनुवाद  )   अनुवाद ) विज्ञापन के अनुवाद

) कार्यालयीन अनुवाद  :-  कार्यालयिन अनुवाद में स्त्रोत (मूल ) भाषा की कार्यालय संबंधी सामग्री को लक्ष्य भाषा में प्रस्तुत किया जाता है।  जैसे सरकारी पत्र, परिचय, सूचनाएँ, अधिसूचना  नियम, परनियम, प्रेस विज्ञानं, आलेखन, टिप्पणी, प्रतिवदेन, तार, प्रमाणपत्र आवेदन पत्र संसदीय अधिवेशन आदि

)   प्रयोजन के आधात्पर अनुवाद के प्रकार, मानवी जीवन में अनुवाद विभिन्न उद्देशों को अनुवाद  ) वैज्ञानिक तकनीकी अनुवाद  ) संचारमाध्यम के अनुवाद  )   अनुवाद ) विज्ञापन के अनुवाद

) कार्यालयीन अनुवाद  :-  कार्यालयिन अनुवाद में स्त्रोत (मूल ) भाषा की कार्यालय संबंधी सामग्री को लक्ष्य भाषा में प्रस्तुत किया जाता है।  जैसे सरकारी पत्र, परिचय, सूचनाएँ, अधिसूचना  नियम, परनियम, प्रेस विज्ञानं, आलेखन, टिप्पणी, प्रतिवदेन, तार, प्रमाणपत्र आवेदन पत्र संसदीय अधिवेशन आदि

) वैज्ञानिक एवं तकनीकी अनुवाद :- भौतिक, रसायन, जीव प्राणी, वनस्पति, पर्यावरण, गणित, सांख्यिकी संगणक, खगोल, भूगोल, यांत्रिकी, अभियांत्रिकी- भूगर्भ, अवकाश, विज्ञानं का अघिकतर साहित्य अंग्रेजी में या पाश्चात्य भावाओं अनुदित किया जाता है।  यह एक दूसरे देशो के हित रक्षण विज्ञान तकनीक लेन देन के लिए अनुवाद महत्त्वपूर्ण है। 

) मानविकी अनुवाद :- सामाजिक शास्त्र शाबा से जुड़े विषयों से संबंधित है।  समाजशास्त्र, राज्यशास्त्र, इतिहास, मनोविज्ञान, भाषाविज्ञान, हिंदी, अंग्रेजी, मराठी या विभिन्न प्रांतीय भाषाएँ शिक्षा अनुसंधान, सर्वेक्षण, परियोजना, मातृभाषा आदि के लिए अनुवाद आवश्यक हो गया है। 

) संचार माध्यम अनुवाद :- एक भाषा के संचार माध्यमो की सामग्री दूसरी भाषा में अनुदित करना संचार माध्यम अनुवाद कहा जाता है वर्तमान युग में संचार माध्यमों ने देश विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।  पत्र, पत्रिकाएँ दूरदर्शन, आकाशवाणी, संगणक, ईंटरनेट, राजनीती, खेल, व्यापार, विज्ञानं साहित्य, जीवन से संबंधित सभा विषयों के लिए अनुवाद अनिवार्य हो गया है।

) विज्ञापन अनुवाद :- समाचारपत्र, दूरसंचार , आकाशवाणी, संगणक, ईंटरनेट आदी विज्ञापन प्रभावी माध्यम बना है. स्त्रोत भाषा के विज्ञापन का लक्ष्य भाषा में अनुवाद करना विज्ञापन अनुवाद कहा  जाता हे  . विज्ञापन ग्राहकोंको आकर्षित करने के लिए वस्तुओं का विशेष रूप से जानकारी देकर उन्हें आकर्षित करने की कला विज्ञापन में होती हैं।   

) प्रकृति के आधारपर अनुवाद

) शब्दानुवाद : अनुवाद में हर शब्द का महत्व होता है उसका विशेष महत्व होता है तब हर शब्दानुवाद। .... जाता है।  शब्दानुवाद के तीन भेद है

. शब्द प्रतिशब्द अनुवाद ) शब्दक्रम मुक्त अनुवाद ) शाब्दिक शब्दानुवाद

) शब्द प्रतिशब्द अनुवाद : इस अनुवाद में स्त्रोत भाषा के वाक्योमें शब्द का जो क्रम होता है उसी क्रम से अनुवाद किया जाता हैं  उदा.

 

वह है जा रहा पाठशाला        मैं  हूँ खा रहा आम

) शब्द क्रम मुक्त अनुवाद  : इसमें शब्दों के क्रमानुसार अनुवाद नहीं किया जाता किंतु मूल के प्रतिक शब्द का अनुवाद किया जाता है।  अंग्रेजी अखबारो से हिंदी अखबारों में किए अनुवाद जैसी होती है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

इकाई - II  अनुवाद स्वरूप : संक्षेप में परिचय

प्रास्ताविक :

अनुवाद एक कला है।  एक भाषा की सामग्री को दूसरी भाषा में उसी भावों के अनुरूप ले जाना, जो पहली भाषा में भाव हैं, उसे अनुवाद कहा जाता है।  अनुवाद करते समय अनुवादक को दो भाषाओं  का प्रचुर मात्रा में ज्ञान होना आवश्यक होता है।  अनुवाद में मूल सामग्री निहित भाव, विचार , आशय, विषय, भाषा - सौष्टव और शैली आदि सभी बातों का महत्त्व रहता है।  मूल सामग्री के इन बातों में बदलाव नहीं होना चाहिए।  जिस भाषा की सामग्री का अनुवाद किया जाता है।  उसे मुल भाषा या स्त्रोत भाषा कहा जाता है उसे दिवतीय भाषा अथवा लक्ष्य भाषा कहा जाता है।  इस प्रकार स्त्रोत भाषा की सामग्री लक्ष्य भाषा में परिवर्तित करना ही अनुवाद कहलाता है।

उदाहरण 1. मराठी परिच्छेद

आपल्या देशात धर्माची, संप्रदायांची अनेक उपासना गृहे, मंदिरे, मशीदी , चर्च आणि गुरुद्वारे आहेत. सर्वांनाच शांती हवीय. पण शांतीचे दर्शन कुठेच होत नाही. सर्वत्र कोणते कोणते आंदोलन छेडलेले आहे. दगड, सीमेंट, चुनयापासून बनलेल्या या भव्य पवित्र स्थानांतुन माणसाच्या नैतिकतेला बल का मिळत नाहिय धार्मिक स्थानातून नैतिकता आणि शांतीचा संदेश प्रसारित होण्याची आवश्यकता आहे .  वैचारिक क्रांती, सात साहित्य आणि चारित्र्यनिर्मितीची आज आम्हाला या धार्मिक क्षेत्रात आवश्यकता आहे .

हिंदी अनुवाद :

हमारे देश में धर्मों - सम्प्रदायों के अनेक उपासना गृह, मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर और गुरुद्वारे हैं।  सभी शांति कहते हैं, पर शांति के दर्शन कहीं नहीं होते।  हर जगह कोई कोई आंदोलन छिड़ा है।  पत्थर, सीमेंट, चुने से बने इन भव्य पवित्र स्थानों से मनुष्य की नैतिकता को बल क्यों नहीं मिलताजरूरत इसकी हे की इन धार्मिक स्थानों से नैतिकता  और शांति का संदेश प्रसारित हो।  हमें आज धार्मिक क्षेत्र में आवश्यकता है वैचारिक क्रांति को, सत साहित्य एव चरित्र निर्माण की।

उदाहरण . मराठी परिच्छेद

आपल्यापाशी बुद्धिमत्ता आहे पण कर्मशीलता नाही . आपल्यापाशी वेदान्त तत्वज्ञान आहे, परंतु ते व्यवहारात उतरविण्याचे सामर्थ्य आपल्यात नाही. आपल्या धर्मग्रंथातून वैश्विक समतेचा सिद्धांत प्रतिपादिलेला आहे, परंतु 

 

 

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