Skip to main content

किसान के घर से (यात्रा संवाद)

 Eknath Patil, [30.06.21 15:24]

F. Y. B. A.  ,  HINDI  , paper  no - II  ,  semester  - II     किसान के घर से (यात्रा संवाद)


मधु कांकरिया


लेखिका परिचय


लेखिका मधु कांकरिया का जन्म 23 मार्च, 1957 को हुआ। वे सामान्य परिवार की महिला थी। शिक्षा दीक्षा पूरी होने के बाद लेखन कार्य के साथ जुड गई।


प्रकाशित रचनाएँ -


उपन्यास - खुले गगन के लाल सितारे, सलाम आखिरी, पशा खोर, सेज पर संस्कृति, रहना


नहीं देस वीराना है।


कहानी संग्रह - अंतहीन मरूस्थल, और अंत में यीशु, बीतते हुए, भरी दोपहर के अंधेरे में। सम्मान कथाक्रम सम्मान 2008 को मिला। हेमचंद्र साहित्य सम्मान से सम्मानित किया


गया।


'किसान के घर से' स्वतंत्र भारत में आज किसान की स्थिति अत्यंत दयनीय बन गई है। वह एक वक्त की रोटी के लिए तरस रहा है, जिसे अनाज का निर्माता कहा जाता है। विशेषतः मराठवाडा में किसान अनेक समस्याओं से घिरा हुआ है। जैसे काशी विश्वेश्वरराव किसान दिन ब-दिन कर्ज की दल-दल में फँसा जा रहा है। इसलिए वह निराश बनकर आत्महत्या कर रहा है। यह वास्तव लेखिका ने चित्रित करने का प्रयास किया है।भूमंडलीकरण और औद्योगिक विकास के इस दौड में किसानों की सतत उपेक्षा, उनके प्रति लोगों का दृष्टिकोन, किसानों का खेती से पलायन, आत्महत्या के भयावह आँकडे केवल एक समस्या नहीं भविष्य के लिए एक चेतावनी भी है। इस चेतावनी को प्रेमचंद और संजीव के बाद मधु कांकरिया ने पहचान लिया है। अपने यात्रा संवाद में मराठवाडा को केंद्र में रखकर समूचे देश के किसानों की समस्याएँ लोगों के सामने रखी है। लेखिका को नाना पाटेकर के शब्द याद आ रहे थे जिन्होंने कहा था, "मुंबई की सड़क पर कोई भिखारी मिला तो उसे भिखारी समझिए वह किसान भी हो सकता है।" 1997 से लेकर अब तक दो लाख किसानों ने आत्महत्या की थी। मिडीया को वह खबर नहीं दिख रही थी, उसे आधुनिकता की चकाचौंध दिख रही थी।


लेखिका का पुत्र और उनके दो मित्र मिलकर मराठवाडा के जालना जिले के कुछ गावों में आत्महत्या कर चुके किसानों के परिवार को कुछ करने का जज्बा लेकर जा रहे थे। वे तीनों ही कॉर्पोरेट कलर (सामूहिक संस्कृति) में पले बढे युवक थे। लेखिका ने उनके साथ चलने की इच्छा प्रकट की लेकिन लेखिका के पुत्र ने कहा, “लिखने से कुछ नहीं होगा। उसमें ठोस कार्यवाही या मदत की जरूरत वह भी तुरंत।" तब लेखिका ने कहा था, “हमारा काम दुबके सत्य को बाहर लाना है, तुम लोगों ने भी तो सच्चाई पहले जानी। फिर जाने का और उनके लिए कुछ करने का मन बनाया।" उन्होंने 'हिंदू' अखबार में छपे साईनाथ के दो दिन पहले के उनके आलेख और किसानों की आत्महत्या पर लिखे संजीव के उपन्यास 'फांस' को दिखा दिया, जिसमें यह भी कहा, "इसके लिए लिखना काम जरूरी है। बेटा सोच बदलकर उनको ले जाने के लिए राजी हो जाता है।


लेखिका जालना जिले के बलखेड गांव में गयी थी। वहाँ चारों ओर अकाल ही दिख रहा था। सभी ओर सूखे हुए घास, कही कही जली हुई घास तथा जमीन पर सूखे पलाश थे। पेड की डालियों पर रुई के टुकडे लटके हुए थे। जगह-जगह पर कचरे के ढेर पडे थे। पोलिथिन, व्हीम बारके कवर जैसे हिंदुस्तान लीवर के व्हीम बार का प्रयोग जादा मात्रा में होता है। गाँव में काटेदार पेड, एक ही कुआँ और एक मंदीर है। लेखिका ने देखा बैलगाडी में टीन का पीपाथा, जो पानी के लिए प्रयुक्त हो रहा है। गाँव का वर्णन करते हुए टीन (पत्रे) की छत नीचे बंधी गाय और पेड से बंधी फरमती भैस। झोपडीनुमा खपरैल के छत वाले घर में मुस्लिम युवतियाँ हैं। खेल खत्म होते बाजार शुरू होता है, “चौपहिया गाडीवाले ढेले पर श्रृंगार की ढेर सारी सामग्री बेचता एक तरुण। उसके पाउडर, लिपस्टिक, क्लिप, नेल पोलिश, सेफ्टी पिन आदि थे।” साथ ही कचरे के ढेर पर घूमते सुअर उसके बगल में जूस सेंटर, हेयर कटिंग सलून आदि का सूक्ष्म से वर्णन किया है।


लेखिका और उनके साथियों को अरुणगिरी के घर जाना या जिन्होंने आठ महिने पूर्व आत्महत्या की थी। उनकी पत्नी संगीता, बेटी और उनके चार भाई डेढ एकर के ट्रॅक्टर चला रहे थे। ट्रॅक्टर के पीछे छोटा-सा कपडे का पोस्टर था जिसपर लिखा था, "आत्महत्याग्रस्त शेतकरी कुटुंबांना मदतीचा हात, चला करूया दुष्काळावर मात" (आइए आत्महत्या ग्रस्त किसानों के परिवार की मदत करे)। अरूण गिरी जी ने नाउम्मीदी और हताशा से खेत में कीटकनाशक पी लिया था। उनके छोटे भाई विजयगिरी ने पेड की ओर इशारा करते उसके ही छाया में जहर पीने का बात कही। उन्होंने दीपेश को बोलते हुए कहाँ कि स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद से 37 हजार का कर्जा लिया था। जिसकी नोटीस आई थी। कुछ प्राईवेट कर्जा था जिसकापाच टका ब्याज हर महिने चढ रहा था। बैक की नोटीस की गाँव में चर्चा, बदनामी के कारण उनको चिंता खा गयी थी। बाळासाहेब ने कहा 100 रुपये पर पांच रुपया हर महिने सूद यहां तक 100 रुपए पर 25 तक ब्याज लिया जाता है। अरुणगिरी की पत्नी संगीता पैंतीस से चालीस के बीच की उम्र में कह रही थी, “सब कुछ अचानक हुआ। वैसे जब तक


Eknath Patil, [30.06.21 15:24]

रहे रात दिन दौडते-खटते ही रहे। फिर भी पूरा नहीं पड़ता था तो कर्जा लेना पड़ गया। वह कर्जा ही गले का फंदा बन गया।" बैंक की नोटीस आने से घबरा गए। घर से कुछ नहीं कहा। सुबह जाकर ही आत्महत्या कर ली सरकार से सिर्फ तहसीलदार से मिलकर बैंक कर्जा माफ कर दिया। लेखिका कहती है, किसान के लिए कर्ज मतलब उसके माथे पर लिखी 'एक्सपायरी डेट' है। आगे कहती है मेरे बेटे के पास कार लोन या होम लोन के लिए बार-बार बैंक से फोन आते है वह भी सिर्फ 8% ब्याज वही भी सालाना। यहाँ महिने के लिए 5 से 25 प्रतिशत से कर्जा लेना पड़ता है। दिलीप कालेकर जैसे किसान मेथा बँक लिमिटेड से कर्जा लिया था, 13% सूट पर, वह भी बड़ी मुश्किल से जितना माँगा उसे एक चौथाई मिला था। किसी ने एक जगह लिखा भी है, मोटारसाईकिल के लिए तुरंत कर्जा मिलता है लेकिन खेती के लिए नहीं मिलता। लेखिका ने कहाँ जितना आदमी गरीब उतनी ब्याज की मात्रा अधिक होती है।


शहर में वही बात उल्टी है। मुंबई से सबसे पॉश इलाके में बैंक तीन एकड जमीन सिर्फ एक रुपये से भी कम प्रति वर्ग फीट की दर पर मिलती है। मुंबई में एक मिनिट के लिए बिजली नहीं जाती है, यहाँ आठ-नऊ घंटे गायब होती है। इसके बाद वे काशी विश्वेश्वर राव के परिवार की ओर गए जिनकी आत्महत्या से पूरे जिले को हिलाकर रख दिया था। बाळासाहेब ने बता दिया था कि उनको 'प्रोग्रेसिव फार्मर ऑफ दि इयर' का अॅवॉर्ड मिला था। लेखिका ने बाळासाहेब से कहा कि क्या उन्होंने सुसाइड नोट छोडा था। तब उसने कहा, “दलदल में धँसा किसान क्या एक दिन मरता है? हर दिन वह थोडा-थोडा मरता है। उसकी जमीन उसका कवच-कुंडल होती है, जिस दिन वह निकल जाती है हाथ से, समझो उलटी गिनती शुरू हो जाती है।" जिस काशी विश्वेश्वर राव ने लोगों को हिंमत दीथी वही जिंदगी से उठ गया, जिसके पीछे बैंक लोन और सोसायटी का कर्जा था। डरते हुए बालासाहेब कहता है हर दिन दिल धड़कता रहता है। अब आगे कौन मरेगा? इससे लेखिका ने छोटे किसान से बड़े किसान की आत्महत्या पर प्रकाश डाला है।


लेखिका को पिछले साल हुई लुधियाना की घटना याद आती है। जिसमें 36 साल के किसान जयवंत मोटर साइकिल पर अपने पाँच साल के बेटे को घुमाने निकले। बेटे को अपनी छाती से बाँधकर कॅनाल में कूद गए जिन पर 6 लाख का कर्जा था। जिनकी फसल खराब हो गयी थी। उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा था, "मैं जानता हूँ कि मेरा यह छह लाख का कर्जा मैं तो क्या मेरा बेटा भी जीवन भर उतार नहीं सकता। उसी तरह पंजाब में एक किसान की बेटी ने फाँसी लगा ली थी। उन्होंने सुसाइट नोट में लिखा था। मेरे पापा पर पहले से बहुत कर्जा है। पिछले तीन साल से फसल पर घाटा हुआ है। मेरी शादी के लिए पापा और कर्जा लेने की सोच रहे है। उसी कारण उस लड़की ने आत्महत्या की थी। लेखिका को लगता है कि, यह संकट सिर्फ किसानों पर नहीं है तो पूरी सभ्यतापर संकट छाया हुआ है। लेखिका कहती है कोई यात्रा पूरी नहीं होती। यह भी यात्रा इनकी पूरी न हुई थी। सिर्फ तीन परिवारों से लेखिका मिल पायी। उनके जीवन में न त्योहार है न उत्सव है न आनंद, तो सिर्फ तीनही चीजे है वह कर्ज, कर्ज और कर्ज। किसान जिंदगी भर कपास की पैदास करता है लेकिन पत्नी की कॉटन की साड़ी तक नहीं खरीद पाता। वह सिर्फ सस्ती और टिकाऊ पोलिएस्टर की साडी खरीद सकता है। सब्सिडी के नाम पर दस साल में एक रिलीफ पॅकेज। कर्जा देती है ट्रॅक्टर को 14% लोन 6% लोन ब्याज दर पर देती है। बालासाहेब के माध्यम आम किसान की व्यथा बताती है। अमरिका ने 2005 में किसानको सब्सिडी दी थी। 4 मिलियन डॉलर और उत्पादन हुआ था 3.9 मिलियन डॉलर यात्री उत्पादन से ज्यादा हर साल सब्सिडी मिलती है। हमारे भारत देश में 2 लाख किसान मर गए। किसी को परवाह नहीं है। लेखिका मधु कांकरिया ने किसान की व्यथा को पाठक के सामने यथार्थता से प्रकट किया है।


इसीतरह भारतीय किसान सबका पेट भरने और तन ढकनेवाला होते हुए खुद ही भूखा और अर्धनंगा सो जाता है। मधु कांकरिया ने 'किसान के घर से' यात्रा संवाद को जीवंतता के साथ चित्रित किया है। आज किसान की आत्महत्या के नाम पर हत्या हो रही है। भूमंडलीकरण के दौर में किसान इसमें कहीं भी बैठ नहीं पाता है। यहाँ उनकी उपेक्षा और समस्याएँ बढती जा रही है। इस प्रकार आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिस्थितियों में किसान धँसता जा रहा है। आज यही भारत की ज्वलंत और बुनियादी समस्या है।

Comments

Popular posts from this blog

Internal Evaluation_Winter Semester_2024-25

  Winter Semester Internal Evaluation 2024-25 Dept. of English सूचना : १.         सर्व विद्यार्थ्यांनी आपले अंतर्गत मूल्यमापनाचे काम दि. ०४ ऑक्टोबर ते १० ऑक्टोबर २०२४ यादरम्यान पूर्ण करायचे आहे. यानंतर कोणाचेही होम असाइनमेंट/सेमिनार/ग्रुप अॅक्टिव्हिटी स्वीकारली/घेतली जाणार नाही, याची कृपया नोंद घ्यावी. २.         होम असाइनमेंट/सेमिनार यासाठी महाविद्यालयाने उपलब्ध करून दिलेल्या वह्यांचाच वापर करावा. सदर वह्या महाविद्यालयाच्या कार्यालयामध्ये उपलब्ध आहेत. ३.           बीए/बीकॉम भाग दोनच्या विद्यार्थ्यांनी ग्रुप अॅक्टिव्हिटीसाठी खालील नंबरवर संपर्क साधावा. बीए भाग दोन :  English (Compulsory): 9975669140 बीए भाग दोन :  English (Optional): 9890355376 बी कॉम भाग दोन :  English: 9766188306 Class: BA I                            1.   Subject: English (AEC)    ...

Serpent Lover

  (e-content developed by Prof. (Dr) N A Jarandikar) The Serpent Lover                                               -     A. K. Ramanujan ए. के. रामानुजन हे इंग्रजीतून लेखन करणारे एक महत्त्वाचे भारतीय लेखक आहेत. त्यांची ओळख ही मुख्यत्वे एक कवी म्हणून आहे. भारतीय लोककथांमध्ये त्यांना विशेष रुची होती. आयुष्यातील कित्येक वर्षे त्यांनी भारतीय , विशेषतः कन्नड लोककथा गोळा करण्यामध्ये व्यतीत केली आहेत. प्रस्तुतची कथा ‘ The Serpent Lover ’ ही अशीच एक कन्नड लोककथा आहे. ही कथा त्यांच्या ‘ A Flowering Tree’ या पुस्तकातून घेण्यात आलेली आहे. कामाक्षी नावाची एक तरुण स्त्री या कथेची नायिका आहे. कामाक्षीचे एका तरूणाबरोबर लग्न झाले आहे. पण हा तरुण बाहेरख्याली असून त्याचे अन्य एका स्त्रीसोबत (concubine— विवाहबाह्य संबंध असणारी स्त्री) ) संबंध आहेत. कामाक्षीला याची कल्पना आहे. एक दिवस आपला नवरा आपल्याकडे परत येईल , या आशेवर ती जगत आहे. अशीच २-३ वर्षे गेल्यानंतर , ...

Model Millionaire

  (e-content developed by Prof (Dr) N A Jarandikar) ‘ The Model Millionaire’ ‘द मॉडेल मिलियनेअर’ (‘ The Model Millionaire’ /आदर्श लखपती) ही कथा ऑस्कर वाइल्ड (Oscar Wilde) या लेखकाने लिहिलेली आहे. कोणताही हेतू न बाळगता चांगल्या मनाने केलेली मदत ही अनमोल कशी असते, याविषयीची ही गोष्ट आहे. या गोष्टीमध्ये पुढील पात्रे आहेत : १.        ह्युई अर्सकाईन ( Hughie Erskine): हा या कथेचा नायक आहे. २.        अॅलन ट्रेव्हर ( Alan Trevor ) : हा एक चित्रकार आणि ह्युईचा मित्र आहे. ३.        बॅरन हाऊजबर्ग ( Baron Hausberg ) : हा अॅलन ट्रेव्हरसाठी मॉडेल म्हणून काम करतो आहे. ४.        लॉरा मेर्टन ( Laura Merton ): ही ह्युईची प्रेयसी आहे. ही कथा लंडन शहरामध्ये घडते. ह्युई अर्सकाईन हा एक तरुण आणि रुबाबदार युवक आहे. त्याचे वर्णन पुढीलप्रमाणे केलेले आहे : 1. wonderfully good looking; 2. crisp brown hair; 3. clear-cut profile; 4. grey eyes. त्याच्या वडलांनी त्यांच्या पश्चात आ...